Sunday 5 January 2014

दर्द भरी शायरी


जो मेरा था वो मेरा हो नहीं पाया;
आँखों में आंसू भरे थे पर मैं रो नहीं पाया;
एक दिन उन्होंने मुझसे कहा कि;
हम मिलेंगे ख़्वाबों में पर मेरी बदकिस्मती तो देखिये;
उस रात तो मैं ख़ुशी के मारे सो भी नहीं पाया।

No comments:

Post a Comment